हास्य कविता..नकली पलको से आँखो को खूब सजाती हैं...comadyhouse.com
सरपे सिंदूर का “फैशन” नही है,गले मे मंगलसूत्र का “टेन्षन” नही है! माथे पे बिंदी लगाना “आउटडेटेड” लगती है,तरह तरह की लिपस्टिक अब होंठो पे सजती है! आँखो मे काजल और मस्कारा लगाती हैं,नकली पलको से आँखो को खूब सजाती हैं! मूह ऐसा रंग लेती हैं की दूर से चमकता है,प्रफ्यूम इतना तेज की मीलों से महकता है! जोनथ कभी नाक की शोभा बढ़ती थी,आजहोठ और जीभ पे लग नाक को ठेंगा दिखती हैं! बालो की “स्टाइल” जाने कैसी -कैसी हो गयी,वोबलखाती लंबी चोटी ना जाने कहाँ खो गयी! औरपरिधान तो ऐसे “डिज़ाइन” मे आये हैं,कमसे कम पहनना इन्हे खूब भाये है!
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